बृजेश शर्मा, NARSINGHPUR. कई बार बहुत से मसलों पर बेबाक टीका टिप्पणी कर सुर्खियों में रहने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कुछेक अहम मसलों पर नपे तुले शब्दों में जवाब देते हैं। यह उनका तरीका है या फिर कुछ मसलों से स्पष्ट बोलने से थोड़ा बचने की कोशिश । अब उन्होंने ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के समय पर सवाल उठाए हैं।
द सूत्र से बातचीत में उठाए सवाल
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लेकर कहा है कि उज्जैन के मांधाता पर्वत में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण या लोकार्पण करने के लिए ऐसी क्या जल्दी थी, कुछ दिन रुक जाते तो बेहतर होता। आदि शंकराचार्य एक दंडी सन्यासी हैं, एक संन्यासी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण चातुर्मास में तो नहीं करते। हो सकता है चातुर्मास के बाद हम शंकराचार्य वहां पहुंचते तो उनके दर्शन का आनंद ले सकते थे, अपनी बात रख भी सकते थे।
संसद के उद्घाटन पर भी दी राय
नई संसद सेंट्रल विस्टा के उद्घाटन में प्रधानमंत्री द्वारा दक्षिण भारत के ही साधु संतों को बुलाने और उत्तर भारत के किसी संत को नहीं बुलाने के प्रश्न पर उनका जवाब रहा कि नई संसद उत्तर भारत में ही है और दक्षिण भारत में भाजपा अपना ज्यादा विस्तार करना चाहती है, इसलिए उन्होंने दक्षिण भारत के संतों को बुलाया तो इसमें कोई खराबी नहीं है । हर कार्यक्रम के आयोजक का लाभ-हानि को लेकर अपना दृष्टिकोण होता है।
प्रधानमंत्री ही कर लें राम मंदिर का उद्घाटन
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य से जब यह पूछा गया कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि के लिए काफी प्रयास किए और अब अगले वर्ष भगवान राम के मंदिर का उद्घाटन या लोकार्पण भी प्रधानमंत्री कर रहे हैं। आप शंकराचार्य को आमंत्रण है क्या? तो उनका कहना है कि नहीं, अब तक नहीं। प्रधानमंत्री ने मन्दिर का शिलान्यास किया, वही उद्घाटन कर दें। फिर जो ट्रस्ट बना है उसमें कोई धर्माचार्य तो है नहीं ,सिर्फ कार्यकर्ता ही हैं। कोई विश्व हिंदू परिषद का तो कोई संघ का, कोई बजरंग दल या कहीं किसी और संगठन का।
कुछ कथावाचक सड़े फलों की तरह
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य से पूछा गया कि मौजूदा सामाजिक, धार्मिक परिस्थितियों में शंकराचार्य की भूमिका और अधिक प्रासंगिक हो गई है पर समाज में कुछ कथा वाचकों का प्रभाव ज्यादा बढ़ गया है। कुछ कथावाचक प्रवचन के दौरान महिलाओं के समक्ष अवांछनीय शब्दों का भी इस्तेमाल कर देते हैं। जैसे किसी ने अविवाहित महिला के लिए प्लाट कहा, कोई चमत्कार करता है। इस पर शंकराचार्य का कहना था कि समाज में कथा वाचकों का प्रभाव बढ़ना अच्छा है, इससे लोग कहीं ना कहीं अध्यात्म की ओर बढ़ते हैं। लेकिन अगर कुछ गलत है तो लोग समझदार होंगे तो वह जल्दी ही बाहर कर दिए जाएंग। ठीक वैसे ही जैसे कोई फल की टोकरी लाता है तो उनमें एक दो फल सड़े निकल ही जाते हैं चाहे कितना ही प्रयास कर लो लेकिन ऐसे सड़े फलों को बाहर फेंक दिया जाता है। यही हाल ऐसे कथावाचकों का होगा।
सिर्फ राजनीति में उछाला जा रहा हिंदू राष्ट्र का शब्द
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से हिंदू राष्ट्र को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह शब्द सिर्फ राजनीति में उछाला जा रहा है, अब तक इस मामले में कोई प्रारूप नहीं है और ना ही कुछ ऐसा होने वाला है। धर्म सेंसर बोर्ड पर भी उन्होंने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि कहा कि यह जरूरी है।